पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
बृहस्पतिदेव की कथा
अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन shiv chalisa in hindi को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
लिङ्गाष्टकम्